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________________ स्त्र भावार्थ +9 अनुवादक - बालह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी *-- सओ रइया उववजंति, णो असओ णेरइया उवत्रजंति, सओ असुर कुमारा उवजंति, णो असओ असुर कुमारा उववजंति, जाव सओ वेमाणिया उववजंति णो असओ वेमाणिया उववजंति, सओ णेरइया उन्हंति णो असओ रइया उव्वहंति जाव सओ माणिया चयंति णो असओ वेमाणिया चयंति ॥ से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ सओ फेरइया उववजंति, णो असओ णरइया उववज्जंति, जाव सओ वैमाणिया चयंति णो असओ वेमाणिया चयंति ? से णूणंभो गंगेया ? पासेणं अरहा पुरिसादाणिवैमानिक चलते हैं परंतु अछता वैमानिक नहीं चश्ते अहां भगवन् ! क्या छता नारकी उत्पन्न होते { अछता नारकी उत्पन्न होते हैं छता अमुर कुमार उत्पन्न होते हैं अछता अमुर कुमार उत्पन्न होते हैं यावत् {छता वैमानिक उत्पन्न होते हैं अछता वैमानिक उत्पन्न होते हैं अथवा छता नारकी उद्वर्तते हैं अछता { नारकी उद्वर्तने हैं यावत् छता वैमानिक चवते हैं अछता वैमानिक चलते हैं ? अहो गांगेय ! छता नारकी उत्पन्न होते हैं परंतु अछता नारकी नहीं उत्पन्न होने हैं यावत् छता वैमानिक उत्पन्न होते हैं परंतु { अछता वैमानिक नहीं उत्पन्न होते हैं और छता नारकी उद्वर्तते हैं ( यावत् छता वैमानिक चवते हैं परंतु अछता वैमानिक नहीं चवते हैं. परंतु अछता नारकी नहीं उद्वर्तते हैं, अहो भगवन् ! किस कारन से ऐसा कहा गया है कि छता नारकी उत्पन्न होते हैं परंतु अछता नारकी नहीं उत्पन्न होते हैं यावत् छता वैमा ● प्रकाशक- राजादहादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालामसादजी १३२८
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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