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सूत्र
भावार्थ
पंचमांग विवाह पष्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
संतरं भंते ! रइया उववजंति निरंतरं णेरइया उवचनंति. संतरं असुरकुमारा उववज्जति निरंतरं अनुरकुमारा उववज्जंति जाव संतरं वैमाणिया उवत्रजंति, निरंतरं वेमाणिया उववज्जंति ॥ संतरं णेरड्या उव्वहंति, निरंतरं णेरइया उव्वहति, जाव संतरं वाणमंतरा उच्चहंति, निरंतर वाणमंतरा उन्नति, संतरं जोइसिया चयंति, निरंतरं जोइसिया चयंति, संतरं वेमाणिया चयंति, निरंतरं माणिया चयंति ? गंगेया ! संतरंपि णेरड्या उववज्जति, निरंतरंषि नेरइया उववज्जति जाव संतरंपि थाजयकुमारा उववज्र्जति, निरंतरपि थणियकुमारा उववज्जंति, णो संतरं पुढची काइया उववज्जंति निरंतरं पुढवीकाइया उववजंति, एवं जाव वणप्रवेशन, इस से नारकी प्रवेशन असंख्यात गो, इस से देव प्रवेशन असंख्यात गुने, इस से तिर्यच प्रवेशन असंख्यात गुने || २७ || अब नरकादि में उत्पाद उद्वर्तन मांतर निरंतर का निरूपन करते हैं. अहो भगवन् ! अंतर सहित नारकी उत्पन्न होते हैं या निरंतर नारकी उत्पन्न होते हैं अंतर सहित असुर कुमार उत्पन्न होते हैं या निरंतर असुर कुमार उत्पन्न होते हैं यावत् अंतर सहित वैमानिक उत्पन्न होते हैं या निरंतर वैमानिक उत्पन्न होते हैं ? अंतर साहेब नारकी उद्वर्तते है या निरंतर उगते हैं यावत् अंतर
4+4 नववा शतकका बत्तीमा उद्देशा
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