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पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र 1884
जोइसिएसुवा होजा, बेमाणिएसुवा होज्जा, अहवा पंगै भवणवासीसु एगे वाणमंतरेसु होजा, एवं जहा तिरिक्ख जोणिय पवेसणए तहेव देव पवेसणएवि भाणियब्वे जाव असंखेजाइं ॥ २४ ॥ उक्कोसा भंते ! पुच्छा ? गंगेया ! सव्वेवि ताव जोइसिएसु होजा, अहवा जोइसिएसुय भवणवासीय होजी, अहवा जोइसिय वाणमंतरसुय होजा, अहवा जोइसिय वेमाणिएसुय होज्जा अहवा जोइसिएसुय भवणवासीय वाणमंतरेसुय होज्जा, अहवा जोइसिएसुय भवणवासिएसुय वेमाणिएसुय होजा, अहवा जोइसिएसुय वाणमंतरेसुय वेमाणिएसुय होजा, अहवा जोइसिएसुय भवणवासीय
वाणमंतरेसुय, वेमाणिएसुय होजा ॥२५॥ एयस्सणं भंते ! भवणवासि देव पवेसणवाणव्यंतर में, ज्योतिषी में व वैमानिक में उत्पन्न होवे अथवा एक भवनपति में एक बाणभ्यंतर में ऐसे ही जैसे तिर्यंच का प्रवेशन कहा वैसे ही देव प्रवेशन कहना यावत् असंख्यात तक कहना ॥ २४ ॥ अब
उत्कृष्ट देव प्रवेशन आश्री कहते हैं. अहो गांगेय ! सब जीव ज्योतिषी में उत्पन्न होवे (देवगति में 3% ज्योतिषीगामी अधिक उत्पन्न होने के कारन ज्योतिषी का पद प्रथम ग्रहण किया है. ) अथवा ज्योतिषी,
भवनपति अथवा मोतिषी वाणव्यंतर अथवा ज्योतिषी वैमानिक यह द्विसंयोगी भांगे कहे. अब तीन ।
नववा शतकका पत्नीसवा उद्देशा 408
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