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वार्थ
48 अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
* प्रकाशक- राजाचहादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी*
पंकप्प
पंकप्पभाएय, धूमप्पभाएय, तमाएय होजा, अहवा रयणप्पभाएय जाव धूमध्पभाएय अहे समाएय होज्जा | अहवा रयणप्पभाएय, सक्करप्पभाएय, वालुयप्पभाएय, भाएय, तमाएय, अहे सत्तमाएय होजा । अहवा रयणप्पभाएय सक्करप्पभाएय, वालुयप्पभाएय, धूमप्पभाएय, तमाएय अहे सत्तमाएय, होज्जा, अहवा रयणप्पभाएय, सक्करप्पभाएय पंकप्पभाएय धूमप्पभाएय तमाएय अहे सत्तमाएय होजा अहवारयणप्पभाएय वालुयप्पभाएय, जाव अहे सत्तमाएय होज्जा ६ | अहवा रयणप्पभाएय, सक्करप्पभाएय, जाव अहे सत्तमाए होजा १६४ ॥ १६ ॥ एयरसणं भंते ! रयणप्पभा पुढवि इय पवेसणगस्स, सकरप्पभा पुढवि नेरइय पवेसणगस्स, जाव अहे सत्तमा पुढवि (प्रभा, शर्कर प्रभा बालु प्रभा पंक प्रभा धूम्र प्रभा तमं प्रभा अथवा २ रत्न प्रभा पंक प्रभा, धूम्र प्रभा तमनम प्रभा ३ रत्न प्रभा शर्कर प्रभा बाल प्रभा पंक प्रभा १४ रत्न प्रभा शर्कर प्रभा बालु प्रभा धूम्र प्रभा तम प्रभा तमतम प्रभा ५ रत्न प्रभा धूम्रप्रभा तमप्रभा तमतमप्रभाव रत्नप्रभा बालुप्रभा पंकप्रभा धूम्रप्रभा नमप्रभा तमतमप्रभा यों उत्कृष्ट पद के ६४ भांगे होते हैं ।। १.६ ॥ अहो भगवन्! इन रत्नप्रभा, शर्करप्रभा वालुप्रभा आदि सातों नरक के प्रवेशन में किसकी
शर्कर प्रभा बालु प्रभा ।
तम प्रभा तमतम प्रभा शर्कर प्रभा पंक प्रभा
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