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पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती । पूव A
प्पभं अमुयं तेसु जहा चउण्हं चउकसंजोगो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयण. प्पभाएय, धूमप्पभाएय तमाएय, अहे सत्तमाएय होजा २० । अहवा रयणप्पभाएय, सकरप्पभाएय, बालुयप्पभाएय, पंकप्पभाएय, धूमप्पभाएय होज्जा ॥ अहवा रयणप्पभा एय जाव पंकप्पभाएय, तमाएय होजा ॥ अहवा रयणप्पभाए, जाव पंकप्पभाएय अहे सत्तमाएय होजा ३ ॥ अहवा रयणप्पभाएय सक्करप्पभाएय वालुयप्पभाएय, धूमप्पभाएय, तमाएय होजा, एवं रयणप्पभं अमयं तेमु जहा पंचण्हं पंचसंजोगो तहा भाणियव्यं जाव अहवा रयणप्पभाएय पंकप्पभाए. धूमप्पभाएय, तमाएय
अहे सत्तमाएय होजा १५ ॥ अहवा रयणप्पभाएय सक्करप्पभाएय वालुयप्पभाएय, रत्नप्रभा में, शर्करप्रभा में वालुप्रभा में पंकप्रभामें उत्पन्न होवे अथवा रत्नप्रभा में शर्करप्रभा में बालसभा में धूम्र प्रभा में यावत् रत्न प्रभा में शर्कर प्रभा में बालु प्रभा में तमतम प्रभा में अथवा रत्न प्रभा शर्कर प्रभा पंक प्रभा धूम्र प्रभा यों चार संयोगी सब भांगे यावत् रत्न प्रभा धूम्र प्रभा, तम प्रभा व तमतम प्रभातक कहना. अब पांच संयोगी रत्न प्रभा, शर्कर प्रभा, बालु प्रभा पंक प्रभा धूम्र प्रभा, यों सब यावत् रत्न प्रभा पंक प्रभा धूम ममा तम ममा तमतम प्रभा, यों पांच संयोगी १५ भांगे होते हैं. अब छ संयोगी १ रत्न
" ०१:०४> नववा शतक का बत्तीसवा उद्देशा 9887
भावाथ
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