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अनुवादक-वालब्रह्मचारी मुनि श्री अमालक ऋषिजी
प्पभाएय अहे सत्तमाएय होज्जा ५ । अहवा रयणप्पभाएय वालुयप्पभाएय, पंकप्प- : * भाएय १ । जाव अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए, अहे सत्तमाए. होजा, अहवा रयणप्प भाएय पंकप्पभाएय धूमाएय होजा, १॥एवं रयणप्पमं अमुयं तेसु जहा तिह, तिय संजोगो भणिआ तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयणप्पभाएय तमाएय अहे सत्तमाएय होजा १५ ॥ अहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाएय, वालुयप्पभाएय, पंकप्पभाएय, होजा, अहवा रयणप्पभाएय सक्करप्पभाएय वालुयप्पभाएय, धूमप्पमाएय होज्जा. जाव अहवा रयणप्पभाएय, सकरप्पभाएय, वालुयप्पभाएय, अहे सत्तमाएय होजा॥
अहवा रयणप्पभाएय सक्करप्पभाएय, पंकप्पभाएय, धूमप्पभाएय होज्जा एवं रयणअथवा रत्न प्रभा शर्कर प्रभा में उत्पन्न होवे यावत् रत्न प्रभा तमलम प्रभा में उत्पन्न होवे यो द्विसंयोगी - १६ भांगे अथवा. रत्न प्रभा में शर्कर प्रभा में बालु प्रभा में यावत् रत्न सभा में शर्कर प्रभा में तमतम प्रभा में
अथवा रत्न प्रभा में बाल प्रभा में पंक प्रभा में यावत् र प्रभा में वालु प्रभा में तमतम प्रभा में अथवा रतन प्रभा में पक प्रभा में, भूत्र प्रश में यों रत्न प्रभा पृथी की साथ सब तीन संयोगी भांगे कहना यावत् रल प्रभा में तम प्रभा में तपतम प्रभा में कहना. यों १५ भांगे हुए. अब चतुष्क संयोगी भांगे कहते हैं
* प्रकाशकाजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ