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42 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मानि श्री. अमोलक ऋषिजी.
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संचारेयव्याजाव अहवा संखेज्जातमाए संखेज्जा अहे सत्तमाए होजा२३१॥अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए संखमा पंकप्पभाए जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए, संखज्जा अहे सत्तमाए होजा. अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखेजा वालुयप्पभाए होजा! जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखजा अहे सत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए तिाण सक्करप्पभाए, संखेजा वालुयप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं एक्केको संचारयव्वो, सक्करप्पभाए जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेजा वालु प्रभा में यावत् एक रत्न प्रभा में, एक शर्कर प्रभा में संख्यात तमतम प्रभा में यों पांच भांगे अथवा एक रत्न प्रभा में दो शर्कर प्रभा में संख्यात बालु प्रभा में यावत् एक रन प्रभा में दो शर्कर प्रभा में संख्यात तमतम प्रभा में अथवा एक रत्न प्रभा में तीन शर्कर प्रभा में संख्यात वालु प्रभा में यावत एक रन प्रभा में तीन शर्कर प्रभामें संख्यात तमतमप्रभा में यों इस क्रमसे एक २ भांगा कहना अथवा एक रत्नप्रभा संख्यात शर्कर प्रभा संख्यात बालुप्रभा यावत् एक रत्नप्रभा मख्यात शर्कर प्रभा संख्यात तमतम प्रभा अथवा दो रत्नप्रभा संख्यात शर्कर प्रभा संख्यात वालु प्रभा यावत् दो रत्नप्रभा संख्यात शर्कर प्रभ
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादनी *
भावार्थ