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________________ > एएणं कमेणं एकेको संचारयन्वो जाव अहवा दस रयणप्पभाए, संखेजा सकरप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेजा अहे सत्तमाए होजा ६ ॥ अहवा संखजा रयणप्पभाए संखेजा सक्करप्पभाए होजा। जाव अहबा संखेजा रयणप्पभाए संखजा " हे सत्तमाए होजा ६॥ अहवा .एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा । एवं जहा रयणप्पभा उवरिम पुढवीहिं समं चरिया एवं सक्कर प्पभावि, उवरिमपुढवीहिं संचारेयब्बा, एवं एकका पुढवी उवरिम पुढवीहिं समं भावार्थ संख्यात सातवी तम तम प्रभामें यों ६ दो रत्न प्रभाग संख्यात शर्कर प्रभामें यावत् दो रत्नप्रभा में है संख्याते तमतम प्रभामें, तीन रत्न प्रभा में संख्याते शर्कर प्रभा में यावत् तीन रत्न प्रभा में संख्याते तमतमई प्रभा में यों एक बोलकी वृद्धि करते हुए कहना. यावत् दश रत्न प्रभा में संख्यात शर्करं प्रभा में यावत् दश रत्न प्रभा में संख्यात सातवी तमतम पृथ्वी में अथवा संख्यात रत्न प्रभा में संख्यात शर्कर प्रभा में यावत् संख्यात रल प्रभा में संख्यात तमतम प्रभा में अथवा एक रत्न प्रभा में संख्यात बालु प्रभा में यों जैसे रत्न प्रभा का कथन किया वैसे ही उपरकी सब गिनती करना. यों सब मीलकर 15 १२३१ द्वि संयोगी भांगे हुवे. अब तीन संयोगी कहते हैं एक रत्न प्रभा में एक शर्कर प्रभा में संख्यात पंचमांग विवाह पगति (भगवती) सूत्र 488+ AnmnmAniwww नववा शतकका बत्तीसवा उद्देशा
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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