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पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र
३०.३ ॥११॥णव भंते ! रइया णेरइय पवेसणएणं पवेसमाणा किं रयण. प्पभाए होजा पुच्छा ? गंगेया ! णव रयणप्पभाएवा होजा जाव अहे सत्तमाएवा होजा ७ । अहवा एगे रयणप्पभाए अट्ट सक्करप्पभाए होज्जा, एवं दुयसंजोगो जाव सत्तग संजोगोय जहा अट्टण्हं भणियं तहा णवण्हंपि भाणियव्वं, णवरं एक्कक्को अन्भहिओ संचारयव्वो सेसं तचव पच्छिमो आलावमो अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए, एगे वालयप्पभाए जाव एगे अहं सत्तमाए होंजा ५०.५ ॥ १२ ॥ दस भंते! णेरड्या नरइय. पवेसणएणं पसमाणारियणप्पभाए होजा पच्छा? गंगेया!
रयणप्पभाए वा होजा जाव अहे सत्तमाएवा होजा ७ ॥ अहंवा एगे रयणप्पभाए नव अहो भगवन् ! नत्र नारकी प्रवेशन से उत्पन्न होते क्या र०में उत्पन्न होवे यावत् तमतम प्रभा में उत्पन्न होवे ? अहो गांगेय ! असंयोगी मात मांगे नवर० में यावत् नव तमतम प्रश में उत्पन्न होवे. अथवा एक र० में आठ श में यों द्विसंयोगी १६८ भांगे, तीन संयोगी २८०, चतुष्क संयोगी:१९६० पांच संयोगी १४७० छ संयोगी ३१२ और सात संयोगी २८ भांगे यों सब मीलकर ५००५ भांगे होते हैं. इस का कथन आठ जीवों की प्रवेशना जैसे कहना ॥ १२ ॥ अहो भगवन् ! दश जीव उत्पन्न होते क्या २० में उत्पन्न होवे यावत् तमत्तम प्रभा में उत्पन्न होवे ? अहो गांगेय ! दश जीव साथही र० में उत्पन्न होवे यावत
90 नववा शतकका बत्तीमत्रा उद्दशा
भावार्थ
क
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