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भावार्थ
48 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमालक ऋषिजी +
सकरप्पभाए, एगें वालुयप्पभाए, जाव एगे अहे सत्तमाए होज्जा ९२४ ॥९॥ सत्त भंते ! णेरइयाणेरड्य पवेसणएणं पवेसमाणा पुच्छा गंगेया? रयणप्पभाएवा होज्जा जाव अहे सत्तमाए होज्जा ७ ॥ अहवा एगेरयणप्पभाए छ सक्करप्पभाए होज्जा; एवं एएणं कमेणं जहा
छण्हं दुयसंजोगो तहा सत्तण्हंवि भाणियव्वं, णवर एगो अब्भहिओ संचारिजइ. मीलकर ९२४ भांगे होते हैं. ॥९॥ अहो भगवन् ! सात जीव नरक गति में प्रवेशन करते हुवे क्या रत्नप्रभा में उत्पन्न होवे यावत् तम तम प्रभा में उत्पन्न होवे ? अहो गांगेय ! सातों जीवों का असंयोगी सात भांगे, द्विसंयोगी सात नरक के २१ पद और सात जीव के विकल्प १६, २५, ३४,४३, ५२.३ ६१ पों दोनों का गुनाकार करने से १२६ भांगे होते है. तीन संयोगी सात जीव के १५ विकल्प ११०, १२४, २१४, १३३, २२३, ३१३, १४२, २३२, ३२२, ४१२, १५१, २४१, ३३१, ४२१, ५१११ और सात नरक के तीन संयोगी ३५ पद होते हैं. इन दोनों का गुनाकार करने से ५२५ भांगे होवे. सात नरक के चार संयोगी ३५ पद होते हैं और सात जीवों के चतुष्क संयोगी २० विकल्प होते हैं इस तरह दोनों का गुनाकार करने से ७०० भांगे जानना. सात जीव के पांच संयोगी १५ विकल्प होते हैं और पांच मंयोगी सात नरक के २१ पद होते हैं इस तरह दोनों के गुनाकार करने से पांच संयोगी ३१५१ भांगे. होते हैं सात जीव के छ संयोगी ६ विकल्प होते हैं. और सात नारकी के छ संयोगी ७१
*प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *