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भावार्थ
18 पंचांग विवाह पप्णत्ति (गवत ) रत्र
मो भंगो अहवा दो वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए. एगे धृमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा ॥१०५॥ अहवा एगे रयणप्पभाए एगेसकरप्पभाए एगेवालयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगेतमाए होजाअहवा एगेरयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे बालयप्पभए, एगे पंकप्पभाए, एगेधमप्पभाए एगेअहे सत्तमाए होजा, अहवा एगरयणप्पभाए जाएगेपंकप्पभाए एगे तमाए एगेअहेसत्तमाए होजाअहवा एगे रयणप्प भाएजाव एगे वालयसभाए एगे धूमप्प नाए, एगेतमाए, एगे अहे सत्तमाए होजा, अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहे सत्तमाए होजा
अहवा एग रयणप्पभाए एग वालयप्पभाए जाव एगे अह सत्तमाए हाजा अहवा एग त. एक तातम अब छ संयोगी ५ भांगें कहते हैं. १ एक र० एक श० एक बा एक पं. एक धू० एक त० २एक र० एक श. एक बा० एक पं० एक धू० एक तम तम ३ एकर एक श० एक बा० एक पं. एक त एक तम सम प्रभा ४ एकर० एक श. एक वा एक धू० एक त० एक तमतम प्रभा ५ एक १२० एक श. एक पं० एक धू. एकतएक तम तम प्रभा ६ एक र० एक वा एक पं० एक धू. एक त. एक तमतमममा और एक श. एक बा० एक पं० एक धू० त० एक तमतमप्रभा यों असंयोगी ७भांगे द्विमयेगिा १०५, तीन संयोगी ३५०, चतुष्क संयोगी ३५०. पांच संयोगी १.०५, और छ संयोगी ७ भांग,
नवधा शतक का वत्तालका उद्देशा