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40 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी -
होजा । अहवा एंगे सकरप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, पगे धूमप्पभाए, रंगे अहे .. सत्तमाए होजा, अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए होजा, ॥८॥छन्भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पवेसमाणा किं रयणप्पभाए, पुच्छा ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा, जाव. अहे सत्तमाएवा हाजा ॥ अहवा एगे स्थणप्पभाए, पंच सक्करप्पभाए वा होजा, अहवा एगे रयणप्प भाए, पंच बालुयप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए
पंच अहे सत्तमाए होजा ६ ॥ अहवा दो रयणप्पभाए, चत्तारि सक्कर पभाए होजा, एक तमतम प्रभा १८ एक श० एक पा० एक पं० एक त० एक तमतम प्रभा १९ एक श० एक बा० एक धू० एक त० एक तमतम प्रभा २० एक श० एक पं० एक धू० एक त० एक तमतम प्रभा और २१, एक बा० एक पं० एक धू० एक त. एक तमतम प्रभा ॥ ८॥ अहो भमवन् ! छ नारकी नरक में 3 प्रवेश करते हुने क्या र में उत्पन्न होने यावत् तमतम प्रभा में उत्पन्न होवे ? अहो गांगेय ! र०में यावत् मातवी तमतम प्रभा में उत्पन्न होवे. यों असंयोगी सात भांगे हुवे. अब द्विसंयोगी १०५ भांगे होते हैं जिस में सात नरक के द्विसंयोगी २१ पद और १५-२४-३३-४२-५१ यों पांच विकल्प. इन दोनों का
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
STATIST