SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1325
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - IN 428 १२९५ 888 पंचमाङ्ग विवाह पण्णात (भमवती.) सत्र जबरं अब्भहियं एगो संचारियबो, एवं जाव अहवा दो पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए होजा १४० अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्प भाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, . एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगेवालुयप्पभा एगे धूमप्पभाए एगेतमाए होजा; अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमाए, एगेअहे सत्तमाए होजा ॥ अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए; एगे वालुयप्पभाए, पगे तमाए, है प्रभा में एक शर्कर प्रभा में एक बालु प्रभा में एक तमतम प्रभा में यों चार भांगे. अथवा एक रत्न प्रभा में एक शर्कर प्रभा में एक पंक प्रभा में दो धूम्र प्रभा में यावत् चार जीवों का जैसे चतुष्क संयोगी भांगे कहे वैसे ही कहना परंतु यहां तक की साथ दो संचारना ऐसे १४० भांगे होवे इस का अंतिम भांगा दो जीव पंक प्रभा में एक नीव धूम्र प्रभा में एक जीव तम प्रभा में एक जीप तमतम प्रभा में, अब पांच संयोगी २१ rammamanna नववा शतकका बत्तीसवा उद्देशा 14 ।
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy