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408208 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 8888
पंकप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं जहा चउण्हं तिय संजोगो भणिओ, तहा पंचण्हवि तियसंजोगो भाणियब्वो । णवरं तत्थ एगो संचारिज्जइ, इमाइं दोण्णि, सेसं तंचेव, जाव अहवा तिणि धूमप्पभाए, एगे तमप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होजा २१० ॥ अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए, दो पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव, अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालय प्पभाए दो अहे सत्तमाए होजा, अहवा एगे रयणाए एगे सकराए दो वालुयाए एगे पंकाए होजा, एवं जाव अहवा एगे रयणाए एगे सक्कराए दो वालुयाए एगे
अहेसत्तमाए होज्जा ४ ॥ अहवा एगे रयणाए, दो सक्कराए, एो वालुयाए, एगे एक शर्कर प्रभा में दो तम तम प्रभा में यों पांच हुए अथवा एक रत्नप्रभा में तीन शर्कर प्रभा में एक बालु प्रभा में यावत् एक रत्नप्रभामे तीन शर्कर प्रभामें एक सातवी तमतम प्रभामें यों पांच सब २० हुए. अथवा दोन रत्नप्रभा में दो शर्कर प्रभा में एक बालुपमा में यावत् दो रत्नप्रभा में दो शर्कर प्रभा में एक तम तम प्रभा में यों पांच अथवा तीन रत्नप्रभा में एक शर्कर प्रभा में एक बालुप्रभा में यावत् तीन रत्नप्रभा में एक शर्कर प्रभा में एक लम तम प्रभा में यों तीस भांगे हुए. एक रत्नप्रभा में एक शर्कर प्रभा में तीन पंकप्रभा में
नववा शतक का बत्तीसवा उद्देशा
भावार्थ