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मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 8 +8 अनुवादक-बालब्रह्मचारी
प्पभाए एगे सक्करप्यभाए दो अहे सत्तमाए होजा ५॥ अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा २० अहवा दो रयणप्पभाए, दो सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए होजा, एवं जाव दो रयणप्पभाए दो सकरप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा २५ ॥ अहवा तिण्णि रयणप्पभाए; एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा तिण्णि रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे
अहे सत्तमाए होज्जा ३० ॥ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए, तिण्णि के चार विकल्प १११२ ११२१ १२११ २१११ यो ३५ पद व चार विकल्पका गुनाकार करने से १४०१ भांग होवे. और पांच संयोगी २१ भांगे पांच संयोगी नरक के २१ पद और एक विकल्प इस तरह पांच जीवों के ४६२ भांगे हुवे. अब इसका विस्तार करते हैं. तीन संयोगी २१० कहते हैं. एक रत्नप्रभा में है।
एक शर्कर प्रभा में तीन वालुप्रभा में ऐसे ही यावत् एक रत्नप्रभा में एक शर्कर प्रभा में तीन तम तम प्रभा में *यों पांच हुवे अथवा एक रत्नप्रभा में दो शर्कर प्रभा में दो वालुप्रभा में यावत् एक रत्नप्रभा में दो शर्कर
प्रभा में दो तमतम प्रभा में यों पांच अथवा दो रत्नप्रभा में एक शर्कर प्रभा में दो बालुपमा में दो रत्नप्रभा
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ