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-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी got
होज्जा, अहवा तिण्णि रयणप्पभाए दोणि सक्करप्पभाए होजा, एवं जाव , अहवा तिण्णि रयणप्पभाए दोण्णि अहे सत्तमाए होज्जा ६ ॥ अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा चत्तारि रयणप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा ६ ॥ २४ ॥ अहवा एगे सकरप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होजा, एवं जहा रयणप्पभाए समं उवरिम पुढवीओ संचारियाओ तहा सक्करप्पभाएवि समं उच्चारे. यव्वाओ, जाव अहवा चत्तारि सक्करप्पभाए,एगे अहे सत्तमाए होजा २० ॥ एवं एकेक्काए समं उच्चारेयवाओ, जाव अहवा चत्तारि तमप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा प्रभा में यावत् तीन रत्नप्रभा में दो तमतम प्रभा में यों ६ भांगे चार रत्न प्रभा में एक शर्कर प्रभा में यावत् चार रत्नप्रभा में एक तमतमप्रभा में यों ६ भोंगे रत्नप्रभा के सत्र मीलकर २४ भांगे. एकशर्करप्रभा में, चार बालुपभा में यावत् एक शर्करप्रभा में चार तमतमप्रभा में यों पांच भांगे, ऐसे दो तीन के पांच भांगे, तीन दो के पांच भांगे और चार एक के पांच भांगे मीलकर शर्करप्रभा के २० भांगे. बालुप्रभा में एकपंक प्रभा में चार यावत् एक बालुप्रभा में चार तमतम प्रभा में यों चार भांगे. ऐसे ही दो तीन के चार, तीन दोस के चार, चार एक के चार भांगे यो १६ बालुमभा के हुवे. पंकप्रभा में एक धूम्रप्रभा में चार पंकप्रभा में
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ
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