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पंचमांग विवाह पप्णत्ति (भवगती)
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'' अहे सत्तमाए होजा, ॥ ३५ ॥ २१० ॥७॥ पंच भंते ! गैरइया गैरइय पवेसणएणं
पवेसमाणा किं रयणप्पभाए पुच्छा ? गंगेया ! रयणप्पभाएवा होजा जाव अहे सत्तमाएवा होजा, अहवा एगे रयणप्पभाए होजा, चत्तारि सकरप्पभाए जाव अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि अहे सत्तमाए होज्जा ६ ॥ अहवा दो रयणप्पभाए, तिण्णि सक्करप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए, तिणि अहे सत्तमाए एक तम प्रभा एक तमतम प्रभा यों चार भांगे और एक पंक प्रभा एक धूम्र प्रभा एक तम प्रभा एक तमतम प्रभा में उत्पन्न होवे. यों चार संयोगी ३५ भांगे होते. असंयोगी ७ द्विसंयोगी ६३ तीन संयोगी १०५ और चतुष्क संयोगी ३५ ऐसे सब मीलकर चार नारकी प्रवेशनमे नरक में उत्पन्न होने के २१० भांगे हुवे . ॥ ७॥ अहो भगवन् ! पांच जीव नरक में प्रवेशन करते हुवे क्या रत्न प्रभा में उत्पन्न होवे शर्कर प्रभा में उत्पन्न होवे यावत् तमतम प्रभा में उत्पन्न होवे ? अहो गांगेय ! पांचों जीव रत्न प्रभा में उत्पन्न होवे |
यावत् पांचों जीव सातवी तमतम प्रभा में उत्पन्न होवे. इस तरह असंयोगी सात भांगे हुवे, द्विसंयोगी ८४ ७. एक रत्नप्रभा में चार शर्कर प्रभा में यावत् एक रत्नप्रभा में चार तमतम प्रभा में यों ६ भांगे. दो रत्न-100 प्रभा में तीन शर्कर प्रभा में यावत् दो रत्नप्रभा में तीन तमतमप्रभा यो ६ मांगे. तीन रत्नप्रभामें दो शर्कर ।
48488नयां शतकका बचीस
भावार्थ