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49 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मनि श्री अमोलक ऋषिजी
जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुढवीओ संचारियाओ तहा सकरप्पभाएवि उबरिमाओ उच्चारेयवाओ जाव अहवा, एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए, एगे अहे सत्तमःए होजा १० ॥ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होजा, अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धृमप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा २ ॥ अहना एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए, : एगे अहे सत्तमाए होजा, अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमाए, एगे तमाए, एगे
अहे सत्तमाए होजा, अहवा एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे प्रभा में ७ एकशर्कर प्रभा में एक पंकप्रभा में एक धूमप्रभा में एकतमप्रभा में ८ एक शर्करप्रभा में एक पंकप्रभा में एक धूम्रप्रभा में एक तम तम प्रभा में ९ एक शर्कर प्रभा में एक पंकप्रभा में एक तम प्रभा में एक तम तम प्रभा में १० एक शर्कर प्रभा में एक धूम्रप्रभा में एक तम प्रभा में एक तम तम प्रभा में यों शर्कर प्रभा के दश भांगे हुए. अब बालु प्रभा के चार भांगे कहते हैं १ एक वालु प्रभा में एक पंक प्रभा में एक धूम्रप्रभा में एक तम प्रभा में २ एक बालुप्रभा एक पंक प्रभा एक धूमप्रभा एक तमतम प्रभा ३ एक बालुप्रभा एक पंक प्रभा एक तम प्रभा एक तमतम प्रभा ४ एक बालुप्रभा एक धूम्रप्रभा
*प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ