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एगे अहे सत्तमाए होज्जा ५ ॥ अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पाए, एगे वालु. यप्पभाए होज्जा १॥ एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए १५ ॥ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो पंकप्पभाए होजा, जाव अहवा एगेरयणप्पभाए, एगेवालुयप्पभाए, दो अहेसत्तमाए होज्जा, एवं एएणं गमएणं जहा तिण्हं तियसंजोगे तहा भाणियन्वो जाव अहवा दो धूमप्पभाए, एगे तमाए
एगे अहे सत्तमाए होजा १०५ अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए एगेवालुभावार्थ में यावतू एक रत्नप्रभा में दो बालुप्रभा में एक तमतम प्रभा में यों चार भांगे और दो रत्नप्रभा में एक
बालु प्रभा में एक पंकप्रभा में यावत् दो रत्नप्रभा में एक बालु प्रभा में एक तपतम प्रभा में यों बारह भांगे हुए. ऐसे ही रत्नप्रभा पंकमभा से ९ भांगे, रत्नप्रभा धूम्रप्रभा से ६, और रत्नप्रभा तबप्रभा से तीन भांगे यों रत्नप्रभा में सब मीलकर ४५ भांगे होते हैं. शर्कर प्रभा के बालुप्रभा की साथ १२ भांगे, शर्करप्रभा, का पंकप्रभा की साथ ९ भांगे, शर्कर प्रभा के धूम्र प्रभा की साथ ६ भांगे शर्कर प्रभा के तम प्रभा की साथ
३ भांगे यों शर्कर प्रभा के ३० भांगे होते हैं. बालु प्रभा पंकममा के ९ भांगे, बालुप्रभा धूम्र लप्रभा के ६ भांगे, बालुप्रभा तमप्रभा के तीन भांगे यों बालुप्रभा के १८ भांगे पंकप्रभा के धूम्रप्रभा की साथ
६ भांगे. पंकप्रभा के तमप्रभा की साथ ३ भांगे यों मव भांगे. और एक धूम्र प्रभा दो तम प्रभा एक
48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालामसादजी *