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भावार्थ
428 पंचगंग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र Bigg
संचारियं तहा सक्करप्पभाएवि उवरिमाहिं समं संचारेयव्वं, एवं एकोकाए समं संचारेयव्वं जाव अहवा तिण्णि तमाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा ६३ ॥ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए, दो वालुयप्पभाए होजा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए, दो पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो अहे सत्तमाए होज्जा ५ ॥ अहवा एगे रंयणप्पभाए दो सक्करप्प
भाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभातए, दो सक्करप्पभाए १९+६+३=६३ मांगे कहना. अब तीन संयोगी? ०५ भांगे बताते हैं. एक रत्नप्रभा में एक शर्करप्रभा में दो बालु प्रभा में, एक रत्नप्रभा में, एक शर्कर प्रभा में, दो पंकप्रभा में ऐसे ही यावत् एक रत्नप्रभा में एक शर्कर प्रभा में दो तम तम प्रभा में ऐसे पांच भांगे; अथवा एक रत्नप्रभा में दो शर्कर प्रभा में एक - बालुप्रभा में यावत् एक रत्नप्रभा में दो शर्कर प्रभा में एक तम तम प्रभा में यों पांच भांगे अथवा दो रत्नप्रभा में एक शर्कर प्रभा में एक बालु प्रभा में यावत् दो रत्नप्रभा में एक शर्कर प्रभा में एक तम तम प्रभा में यों पांच भांगे. यों रत्नप्रभा के शर्कर प्रभा की साथ १५ भांगे हुए. अब रत्नप्रभा का बालु प्रभा की साथ १२ भांगे बताते हैं. एक रत्नप्रभा एक बालु प्रभा दो पंकप्रभा यावत् एक रत्नप्रभा में एक बालू प्रभा में दो तम तम प्रभा में यों चार भांगे ऐसे ही एक रत्नप्रभा में एक पंकप्रभा में
8%803 नववा शतक का बत्तीसवा उद्देशा है. <3