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सूत्र
भावार्थ
48 पंचांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
होजा || अहवा एगे वालुवाए, एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होजा, एवं ६ ॥ अहवा एगे पंकाए, एगे धूमाए, एगे तमाए होज्जा अहवा एगे पंकाए, एगे धूमाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा, अहवा एंगे पंकप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए होजा, एवं ३ ॥ अहवा एगे धूमप्पभाए एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए होजा ॥ ३५ ॥ ८४ ॥ ६ ॥ चत्तारि भंते ! णेरड्या णेरइय पवेसणएणं पत्रेसमाणा किं रयणप्पभाए होजा पुच्छा ? गंगेया ! रयणप्पभाएवा होज्जा, जाव अहे सत्तमाए होजा बालुप्रभा एक पंकप्रभा एक तम तम प्रभा यों तीन भांगे एक बालुप्रभा एक धूम प्रभा एक तम प्रभा, अथवा एक बालुप्रभा एक धूम्रप्रभा व एक तम तम प्रभा यों दो भांगे अथवा एक बालुप्रभा एक तमप्रभा { एक तम तम प्रभा यो बालुप्रभा आश्री तीन संयोगी भांगे हुवे अथवा एक पंकप्रभा एक व धूम्र प्रभा एकतम प्रभा एक पंकप्रभा एक धूम्रप्रभा एक तम तम प्रभा, एक पंकप्रभा एक तमप्रभा एक तमतम प्रभा यों पंक्रप्रभा आश्री तीन संयोगी तीन भांगे और एक धूम्रप्रभा एक तम प्रभा एक तम तम प्रभा यो सब मीलकर तीन संयोगी १५+१०+६+३+१ यों सब मीलकर तीन संयोगी ३५ भांगे हुवे और तीन नारकी आश्री एक संयोगी ७ द्विसंयोगी ४२ और तीन संयोगी ३५ ऐसे ८४ हुवे ॥ ६ ॥ अहो भगवन् ! चार नारकी नरक {गति में प्रवेशन करते हुवे क्या रत्नप्रभा में उत्पन्न होवे यात्रत् नीचे सातत्री तम तम प्रभा में उत्पन्न होवे ? |
- नवत्रा शतकका बत्तीसचा उद्देशा
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