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________________ 48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी. होजा, अहया एगे सक्करप्पभाए एगे धालुयप्पभाए जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा ॥ एवं एक्केका पुढवी छडेयन्वा जाव अहवा एगतमाए एगेअहे सत्तमाए होजा॥५॥ तिणि भंते ! णेरइया णेरइयपवेसणएणं पवेसमाणा किं रयणप्पभाए होजा जाव अहे सत्तमाए होजा? गंगेया रयणप्पभाए वा होजा जाव अहवा अहे सत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए वालुप्रभा में ८ एक शर्करप्रभा में एक पंकप्रभा में ९एक सर्करप्रभा में एक धूम्रप्रभा में १० एक शर्कर प्रभा में एक तम प्रभा में ११ एक शर्कर प्रभा में एक तम तम प्रभा में १२ एक बालु प्रश में एक पंक प्रभा में 7. F१३ एक बालु प्रभा में एक धूम्रप्रभा में १४ एक बाल प्रभा में एक तम प्रभा में १५ एक बाल प्रभा में से एक तम तम प्रभा में १६ एक पंक प्रभा में एक धूमप्रभा में १७ एक पंक प्रभा में एक तम प्रभा में ११८ एक पंक प्रभा में एक तम तम प्रभा में १९ एक धूम प्रभा में एक तम प्रभा में २० एक धूम प्रभा एक तम तम प्रभा में और २१ एक सम प्रभा में एक तमतम प्रभा में उत्पन्न होवे. इस तरह दो जीव अट्ठाइस भांग कहे ॥५॥ अहो भगवन् ! सीन जीव नरक प्रवेशन से प्रवेशन करते हुवे क्या रत्न प्रभा में उत्पन्न होवे यावत् नीचे सासवी नरक में उत्पन्न होवे ? अहो गांगेय ! यहाँ असंयोगी सात भांगे द्विसंयोगी ४२ भांगे भौर तीन सयोगी ३५ मांगे मील कर ८४ भांगे होते हैं. असंयोगी सात भांगे.. * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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