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भावार्थ
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र <dias
पवेसमाणे किं रयणप्पभाए होजा सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहे सत्तमाए होजा?गंगेया! रयणप्पभाएवा होना जाव अहे सत्तमाएवा होजा॥४॥दो भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पवेसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जाजाव अहेसतमाए होजा? गंगेया! रयणप्पभाए होजा, जाव अहे सत्तमाएवा होजा॥अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, अहवा
एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, जाव एगे रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए शर्कर प्रभा नरक प्रवेशन होवे यावत् तमतम प्रभा नरक प्रवेशन होवे ? अहो गांगेय ! एक जीव नरक प्रवेशन करता हुआ रत्नप्रभा में उत्पन्न होवे यावत् सातवी तमतम प्रभा में उत्पन्न होवे. ऐसे एक जीव आश्री सात विकल्प होवे ॥४॥ अहो भगवन् ! दो जीव नारकी प्रवेशन से प्रवेशन करते हुवे क्या रत्नप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होवे शर्कर प्रभा में उत्पन्न होवे यावत् सातवी तम तम प्रभा में उत्पन्न होवे ? अहो गांगेय ! यहां अयोगी सात भांगे और द्वी संयोगी २१ भांगे मील कर २८ भांगे होते असंयोगी सात भांगे दो रत्नप्रभा में उत्पन्न होवे, दो शर्कर प्रभा में यावत् दो सातवी तमतम प्रभामें उत्पन्न होवे. अब द्वी संयोगी २१ भांगे बताते हैं. १ एक रत्नप्रभा में एक शर्कर प्रभा में २ एक रत्नप्रभा में एक वालु प्रभा में ३ एक रत्नप्रभा में एक पंक प्रभा में ४ एक रत्नप्रभा में धमप्रभा में १५ एक रत्नप्रभा में एक तम मभा में एक रत्नप्रभा में एक तम तम प्रभा में ७ एक शर्कर प्रभा में एक
नववा शतकका बत्तीसवा उद्देशा NP
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