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________________ ब्दार्थ <०१ अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी 8 प्रकार के भं भगवन् प० प्रवेशन १० प्ररूपा गं० गांगेय च. चार प्रकार के तं. वह ज० जैसे ने. नारकी प्रवेशन ति तिर्यंच योनि प्रवेशन म० मनुष्य प्रवेशन दे देव प्रवेशन ने० नारकी प्रवेशन भं० भगवन् क० कितने प्रकार का प० प्ररूपा गं गांगेय स० सात प्रकार का तं० वह ज. जैसे र० रत्नप्रभा पृथ्वी ने० नारकी प्रवेशन जा. यावत् अ० अधो स० सातवी पृथ्वी ने नारकी प्रवेशन||सरल शब्दार्थ पण्णत्ते ? गंगेया ! चउविहे पवेसणए पण्णत्ते, तंजहा णेरइयपवेसणए, तिरिक्ख जोणिय पवेसणए, मणुस्स पवेसणए, देवपर्वसणए । णेरइयपवेसणएणं भंते ! कइ विहे पण्णत्ते ? गंगेया ! सत्तविहे पण्णत्ते तंजहा रयणप्पभापुढवीणेरइय पवेसणए है ___जाव अहे सत्तमा पुढवी जेरइय पवेसणए॥३॥एगेणं भंते ! णेरइए नेरइय पवेसणएणं .. ॥२॥ जीव मरकर गति में प्रवेश करते हैं इसलिये गति प्रवेशन रूप कहते हैं. अहो भगवन् ! प्रवेशन (एक गति में से दूमरी गति में जाना ) के कितने भेद कहे ? अहो गांगेय ! चार प्रकार के प्रवेशन कहे हैं नारकी प्रवेशनक, तिर्यंच प्रवेशनक, मनुष्य प्रवेशनक, और देव प्रवेशनक. अहो भगवन् !, नारकी प्रवेशनक के कितने भेद कहे हैं ? अहो गांगेय ! नारकी प्रवेशनक के सात भेद हैं ? रत्नप्रभाई नरक प्रवेशनक, शर्करप्रभा नरक प्रवेशनक यावत् नीचे सातवी तमतमप्रभानरक प्रवेशनक ॥ ३॥ अहोई त्र भगवन् ! एक नारकी नरक प्रवेशन से प्रवेशन में उत्पन्न होता हुआ तो क्या वह रत्नप्रभा नरक प्रवेशन होवे, * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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