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शब्दार्थ
पंचमांग विवाह पण्णति (भगवती ) सूत्र 48862
आंतरा सहित भं० भगवन् ने० नारकी उ० उत्पन्न होवे नि० निरंतर ने नारकी उ० उत्पन्न होवे गं०११ गांगेय सं० आंतरा महित ने नारकी उ० उत्पन्न हो नि निरंतर ने० नारकी उ० उत्पन्न होवे सं०१४ आंतरा सहित भं• भगवन् अ. असुर कुमार उ० उत्पन्न होवे नि० निरंतर अ० असुर कुमार उ०१ उत्पन्न होवे गं. गांगेय सं० आंतरा सहित उ० उत्पन्न होवे नि. निरंतर उ. उत्पन्न होवे ए. ऐसे जा० यावत् थ० स्थनित कुमार सं० आंतरा सहित भं भगवन् पु० पृथ्वी काया उ० उत्पन्न होवे नि० निरंतर
असुर कुमारा उवदज्जंति, निरंतरं असुर कुमारा उववज्जंति ? गंगेया ! संतरपि
अमुर कुमारा उववज्जंति, निरंतरंपि असुर कुमारा उववज्जंति, एवं जाव थणिय __कुमारा ॥ संतरं भंते ! पुढवी काइया उववज्जति निरंतर पुढवी काइया उववज्जंति?
गंगेया ! णो संतरं पुढवी काइया उववज्जंति, निरंतरं पुढवी काइया उववज्जंति होकर ऐसा बोले कि अहो भगवन् ! क्या नारकी समयादि अंतर सहित उत्पन्न होते हैं या निरंतर उत्पन्न होते हैं. अहो गांगेय ! अंतर सहित उत्पन्न होते हैं और निरंतर भी उत्पन्न होते हैं. अहो भगवन् ! असुर कुमार क्या अंनर सहित उत्पन्न होते हैं या अंतर रहित उत्पन्न होते हैं ! अहो गांगेय! अंतर सहित भी। उत्पन्न होते हैं और निरंतर भी उत्पन्न होते हैं. ऐसे ही नागकुमार यावत् स्थनित कुमार का जानना. 3 अहो भगवन् ! क्या पृथ्वी कायिक जीव अंतर सहित उत्पन्न होते हैं. या निरंतर उत्पन्न होते हैं ? अहो ।
namammmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmnnnnnnnmamannamommam
भावार्थ
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