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अनुवादक-वालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋाजी
सुक्कलेस्साए ॥ सेणं भंते ! कइसु नाणेसु होजा, गोयमा ! तिसु आभिणियोहिय । है नाण सुयनाण, ओहिनाणमु होजा, सेणं भंते ! किं सजोगी होजा,
अजोगीहोज्जा ? गोयमा ! सजागी होजा, नो अजोगी होजा, जइ सजोगी होजा किं मणजोगी होजा, वइजोगी, कायजोगीवा होजा ? गोयमा ! मणजोगी होजा, वइजोगी होज्जा, कायजोगीवा होजा । सेणं भंते ! किं सागारोवउसे हाजा,
अणागारोवउत्ते होजा ? गोयमा ! सागरोवउत्तेवा होजा, अणागारावउत्तेवा होज्जा ॥ है सेण भंत कयरमि संघयणे होजा ? गोयमा ! वइरोसभ नारायण संघयणे होजा ॥
सेणं भंते !कयरंमि संठाणे होजा? गोयमा! छण्हं संठाणाणं अण्णयरे संठाणे होजा ॥ सेणं करते हैं. अहो भगवन् ! विभंग ज्ञानी मे अवधि ज्ञानी बनकर चारित्र अंगीकार करनेवाला कितनी लेश्यायों से संयुक्त होता है ? अहो गीतम ! तेजो, पन व शुक्ल ऐसी तीन लेश्यायों सहित हावे. अहो । भगवन् ! वह कितने ज्ञान में होवे ? अहो गौतम ! यह मति, श्रुत व अवधि ऐसे तीन ज्ञान में होवे. अहोस भगवन् ! क्या वह सयोगी हो या अयोगी होवे ? अहा गौतम ! मयोगी होव परंतु अयोगी होवे नहीं. अहो भगवन् ! यदि सयोगी होवे हो क्या मन योगी वचन योगी या काय योगी होवे ? अहो गौतम ! मतयोगी, वचन योगी व काय योगी होवे. अहो भगवन् ! क्या वह साकारोपयुक्त होवे या अनाकारोपी
, प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदव सहायजी घालाप्रसादजी *
भावार्थ