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41 अनुवाद, चालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ममीनी
सेणं असोच्चा केवलिस्सवा जाव नो संजमेजा, सेतेणटेणं गोयमा! जाव अत्थेगइए नो संजमेजा ॥ ५ ॥ असोचाणं भंते ! केवलिस्सवा जाव उवासियाएवा केवलेणं संव. रेणं संवरेजा ? गोयमा ! असोच्चाणं केवलिस्सवा जाव अत्थेगइए केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा, अत्थेगइए केवलणं जाव नो संवरेजा ॥ सेकेणटेणं जाव नो संवरेजा ? गोयमा ! जस्सणं अज्झवसाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ सेणं असोच्चाकेवलिस्सवा जाव केवलेणं संवरेणं संवरेजा, जस्सणं अज्झवसाणावरणिज्जाणं
कम्माणं खओयसमे नोकडे भवइ सेणं असोच्चाकेवलिस्सवा जाब नो संवरेच्चा, से बुद्ध की उपालिका के वचन सुनकर शुद्ध संयम अंगीकार करसकते हैं और जिनोंने यत्नावरणीय का क्षयोपशम नहीं किया है वे शुद्ध संयम अंगीकार नहीं करमकते हैं. अहो गौतम ! इस कारन से ऐसा कहा है कि कितनेक शुद्ध भयम अंगीकार करसकते हैं और कितनेक नहीं करसकते हैं. ॥ ॥ अहोई भगवन् ! असोचा केवली यावत् स्वयं बुद्ध की उअनिका के पवन सुनकर क्या कोई शुद्ध संघर पाल सकते हैं? ओगौतम! किक शटवर दमन और कितनेक नी पाल सकते हैं. भगवन् ! किस कारन से ऐसा कहा गया है ? अहो गौतम ! जिन को अध्यवसायावरणीय कर्म का
* पनाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *