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उ० उदीरे अ. उदे नहीं आया उजदीरणा योग्य क० कर्म उः उदीरे नोक नहीं उ. उदयान्तर १० पीछे क० कीया कर्म उ० उदीरे जं. जो भगवन अ. उदे नहीं आया उ. उदीरना योग्य क. कर्म उ० उदीरे त उन को उ० उत्थान क० कर्म ब० तलबी वीर्य पु. पुरुपात्कार पराक्रम में अ० उदे नहीं आया उ० उदीरणा योग्य उ० उदीर उ० अश्या है. उन को अ० अनुत्थान अ० अकर्म
१.१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी
भवियं कम्मं उदीरेइ तंकिं उठाणेणं, कम्मेणं, वलेणं, वीरिएणं, परिसक्कार परकमेणं अणुदिन्नं उदरिणा भवियं कम्मं उदीरति. उादह तं अणटाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं अवीरिएणं, अपरिसकार परकमेणं, अपादिण्णं उदीरणा भावयं कम्मं उदीरेड ? गोय. मा : तं उट्ठाणणवि, कम्मणवि, बलेणवि, वारिएणवि, पुरिसकार परकमेणवि, अणुदिन्नं उदीरणा भावियं कम्मं उदीरेइ नो, तं अणुटाणेणं अकम्मेणं अबलेणं अवीरिएणं
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रमाद जी *
भावार्थ
उत्थान, कर्म, बल, वीर्य. व पापात्कार पगमन उदीरता है? अथवा अस्थान, कन, बल, वीर्य, व पुरुषा कार पराक्रम विना उदीरता है ? अहो गोकर उन्धान भारत उगम में उदीरणा के योग्य अनुदित कर्म उदीरता है. परंतु उत्थानबारपाका मिना उठीगा के योग्य अनुदित कर्म को नहीं उदीरता है. हम लिये उन्धान, कर्म, वरीय पुस्ताकार पक्रय में अस्ति है जिम में उदीरणा योग्य *