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42 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
अणगारियं पचएजा, जस्सणं धम्मंतराइयाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ सेणं असोच्चा केवलिस्सवा जाव मुंडे भवित्ता जाव नो पव्वएजा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव नो पव्वएजा ॥ ३ ॥ असोच्चाणं भंते ! केवलिस्स जाव उवासियाएवा केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा ? गोयमा! असोचाणं केवलिस्सवा जाव उवासि. याए अत्थेगइए केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा, अत्थेगइए नो आवसेज्जा ॥ सेकेणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव नो आवसेज्जा ? गोयमा ! जस्सणं चरित्तावरणिजाणं
कम्माणं खओवसमे कडे भवइ सेणं असोचा केवलिस्सवा जाव केवलं बंभचेरसिका के वचन सुनकर साधुपना प्राप्त कर सकते हैं और जिन को धर्मातराय का क्षयोपशम नहीं हुआ है वे नहीं प्राप्त कर सकते हैं. इस कारन से अहो गौतम! ऐमा कहा गया है कि कित पना प्राप्त कर सकते हैं और कितनेक नहीं प्राप्त कर सकते हैं. ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! असोचा केवली यावत् स्वयं बद्ध की उपासिका के वचन सुनकर शुद्ध ब्रह्मचर्यपना पाल सकते हैं. ? अहो गौतम ! कितनेक पाल सकते हैं और कितनेक नहीं पाल सकते हैं. अहो भगवन् ! किस कारन से ऐसा कहा गया है ? अहो गौतम जिनोंने चारित्रावरणीय (स्त्री पुरुष व नपुंसक का वेदोदय) का क्षयोपम किया
*प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
भावार्थ
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