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________________ शब्दार्थ 382 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भवगती ) सूत्र * स० समुद्र में के कितने चं चंद्र ५० प्रकाशे एक ऐसे स० सर्व दी. द्वीप समुद्र में जो. ज्योतिषी का भा० कहना जा. यावत् स० स्वयंभू रमण समुद्र जायावत् सो०प्रकाशे से०वह ए ऐसे भं-भगवन्॥१२ रा० राजगृह जा० यावत् ए० ऐमा व० बोले क० कहां भं० भगान् दा० दक्षिण के ए० एक रुक वइया चंदा पभासिं गुवा ३, ॥ एवं सव्वेसु दीवसमुद्देसु जोइसियाणं भाणियव्यं जाव सयंभुरमणे जाव सोभं सोभिंसुवा ३ ॥ सेवं भंतेत्ति ॥ नवमसए बीओ उद्देसो सम्मत्तो ॥ ९ ॥ २ ॥ + रायगिहे जाव एवं वयासी कहिं भंते ! दाहिणिल्लाणं एगूरुय मणुस्साणं, एगूरुयहीवे किया, करते हैं व करेंगे. ४२ सूर्य तपे, तपते हैं व तपेंगे. अर्ध पुष्करद्वीप में ७२ चंद्रने प्रकाश किया, करते हैं व करेंगे. ७२ सूर्य तपे, तपते हैं व तपेंगे. यों मनुष्य क्षेत्र सो अढाइद्वीप में १३२ चंद्रमाने , प्रकाश किया, करते हैं व करेंगे. १३२ सूर्य तपे, तपते हैं व तपेंगे. इन का मब परिवार अलग २ जानना. पुष्कराई समुद्र में संख्याते चंद्रमा प्रकाश करते हैं और संख्याते सूर्य तपते हैं. वगैरह ज्योतिषी का सब कथन जीवाभिगम सूत्र से जान लेना. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं यह नववा शतक का दूसरा उद्देशा पूर्ण हुवा ॥ १ ॥२॥ . दूसरे उद्देशे में द्वीप समुद्र की वक्तव्यता कही. तीसरे उद्देशे में अन्य प्रकार के द्वीपों का वर्णन करते है। 4883 नवां शतकका ३-३० उद्देशा 84 भावार्थ 488
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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