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________________ शब्द ॥ नवम शतकम् ॥ * जं. जम्बूद्रीप जो० ज्योतिषी अं० अंतरद्वीप अ० अश्रुत गं० गांगेय कुं० कुंडग्राम प० पुरुष न०१, नववा शतक में चो० चौतीस ॥१॥ ते. उस काल ते. उस सपय में मि०मिथिला न० नगरी हो० थी व० वर्णन युक्त म० माणिभद्र चे० चैत्य व० वर्णन युक्त सा• स्वामी म० पधारे ५० परिषदा नि० पीछीगइ 4 जंबूद्दीवे, जोइस, अंतरदीवे, असोच्च, गंगेय, कुंडग्गामे, पुरिसे नवमंमि सयंमि चोत्तीसा ॥ १ ॥ तेणं कालणं, तेणं समएणं मिहिला नाभं नयरी होत्था वन्नओ, माणिभद्दे चेइए वन्नओ, सामी समोसढे परिसा निग्गया जाव भगवं गोयमे पज्जु आठवे शतक में सिद्ध भगवंतों को निष्पुद्गली कहें और पुद्गल पिण्डमय यह जगत है, जिम का मध्य स्थान जम्बूदीप है, इसलिये जम्बूद्वीप का कथन नववे शतक के प्रारंभ में करते हैं. इस नववे शतक के सब कर ३४ उद्देशे कहे हैं. १ प्रथम उद्देशे में जम्बूद्वीप का कथन किया है, २ दूसरे में ज्योतिषियों का कथन, ३ तीसरे उद्दशे से तीसवे उद्देशे तक दक्षिण दिशा के २८ अंतरद्वीप, का ३१ एकतीसवे में अमोच्चा केवलिका३२ बतीसवा गांगेय अनगार का३३ तेत्तीसवेमें ब्राह्मण कुंडग्राम नगरका वर्णन, और चौत्तीसवे में ० पुरुष की घात के विषय में यह चौतीस उद्देशे नववे शतक में कहे हैं. उन में से प्रथम उदेशा का स्वरूप कहते हैं. उस काल उस समय में मिथिला नायक नगरी थी. उस का वर्णन उववाद सूत्र से जानना. वहां माणिभद्र चैत्य था. उस में श्री महावीर स्वामी पधारे, परिषदा वंदन करने को आइ और धर्मोपदेश सुन भावार्थ 4248 पंचगंग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) नववा शतकका महिला उद्देशान280
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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