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________________ * अनुवादक-बालब्रह्मचरी मुनि श्री अमालक त्रपिजी - गोयं, जस्स गोयं तस्स नाम ? गोयमा ! जस्स नामं तस्स नियमा गोयं, जस्स गोयं तस्स नियमा नामं ॥ जस्सणं भंते ! नामं तस्स अंतराइयं पुच्छा ? गोयमा ! जस्स नाम तस्स अंतराइयं सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स नाम नियमं अत्थि ॥ १६ ॥ जस्सणं भंते ! गोयं तस्स अंतराइयं पुच्छा ? गोयमा ! जस्स गोयं तस्स अंतराइयं सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स गोयं नियमअत्थि ॥ १७ ॥ जीवणं भंते ! पोग्गली पोग्गले? गोयमा! जीवे पोग्गलीवि, पोग्ग लेवि सेकेणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जीथे पोग्गलीवि पोग्गलेवि ? गोयमा ! से जहा ॥ १५ ॥ अहो भगवन् ! नाम कर्मवाले को गोत्र कर्म और गोत्र कर्म वाले को क्या नाम कर्म होता है ? अहो गौतम ! दोनों परस्पर अवश्य होते क्वचित् नहीं भी होता है परंतु अंतराय कर्म वाले की साथ नाम कर्म अवश्य रहता है. ॥ १६ ॥ अहो ! जिस को गोत्र कर्म होता है उस को क्या अंतराय कर्म होता है अथवा जिस को अंतराय कर्म : उस को क्या गोत्र कर्म होता है ? अहो गौतम ! गोत्र कर्म वाले को अंतराय कर्म क्वचित । और काचित् नहीं भी होता है और अंतराय का वाले को गोत्र कर्म अवश्य रहता है. ॥ प्रकाशक-राजावहादुर लाला सुखदेवसहायजी मालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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