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• प्रकाशक-राजाबहादुर लाला
भावार्थ
403 अनुवादक-यालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी +
चत्तारि भंते ! पोग्गलत्थिकायप्पएसा कि दव्वं पुच्छा ? गोयमा ! सियदल्वं सिय. दव्वदेसे अट्ठवि भंगा भाणियन्वा, जाव सियदव्वाइंच दव्व देसाय जहा
चत्तारि भणिया, एवं पंच छ सत्त जाव संखेजा असंखजा ॥ अणंता भंते ! । हुआ द्रव्यांतर संबंध उपगत होवे तब द्रव्य देश है ३ जैव तीनों पृथक होकर रहे अथवा एक अणु अग दो प्रदेशात्मक स्कंध अलग ऐसे रहे तब द्रव्यों है, जर तीनों ही स्कंधपने को अनागत अथवा दो द्वयण भून एकका केवलद्रव्यांतर की साथ संबंध तब द्रव्य देशों है २ नव दो परमाणु द्वयणुकपने परिणमे और एक द्रव्यांतर साथ संबंधी अथवा एक केवलही रहा अथवा दोनों द्रव्यपने परिणमे द्रव्यांतर साथ संबंधी होवे तब द्रव्य और द्रव्य देश है ६ जब एक द्रव्यरहा और दोनों द्रव्य साथ संबंधी हुए तब द्रव्य देशों हैं ७ जब वे दोनों द्रव्यका भा कर रहे एक द्रव्यांतर साथ संबंध कर रहा तब द्रव्यों द्रव्यदेश कहना यो तीन प्रदेशी परमाणु में सात विकला होते हैं और आठवा विकल्प नहीं पाता है. अहो भगवन् ! चार पुद्गलास्तिकाय के प्रदेशों क्या द्रव्य हैं वगैरह आठों प्रश्न करना. अहो गौतम ! चारों प्रदेशों में चार होने से दो दो अलग होकर दोनों तरफ बहुवचन मीलने से आठों ही विकल्प पाते हैं जिन में सात विकल्प जैसे तीन परमाणु के कहे वैसेही होते हैं और आठवा दोका एक स्कंध और दो दूमरास्कंध होनेसो बहुत द्रव्य बहुत प्रदेशों होते हैं जैसे चार प्रदेशों में आठ विकल्प कहे वैसे ही पांच छ सात