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। दव्वदेसे पुच्छा ? गायमा ! सियदव्वं, सियदव्वदेसे, सियदव्वाइ सिय दबदेसा, ! सिय दव्वंच दव्वदेसेय, नो दव्वंच दबदेसाय, सेसा पडिसेहेयव्वा, ॥ तिण्ण भंते !
पोग्गलत्थि कायप्पएसा किं दव्वं दब्वदेसे, पुच्छा ? गोयमा ! सियदव्, सियदव्वदेसे
एवं सत्तभंगा भाणियव्वा जाव सियदव्वाइंच. दव्वदेसय · नो दव्वाइंच दव्वदेसाय भावार्थ
देशों कहना ? अहो गौतम ! पुद्गलास्तिकाय प्रदेश को कचित् द्रव्य कहना व काचित् द्रव्य देश भी कहना. परंतु शेष : भांगे नहीं कहना. क्यों कि परमाणु एक होता है वहां बहुत्व व द्विसंयोगी का अभाव होता है. अहो भगवन् ! पुद्गलास्ति काय दो प्रदेशी की उक्त आठ भांगे से पृच्छा करते हैं. अहो गौतम !
देश स्कंधरूप परिणमने से क्वचित् द्रव्य, क्वचित् द्रव्य देश ( वे दोनों अणु स्कंध भाव को प्राप्त हावे और द्रव्यान्तार को उपगत होवे तब वह द्रव्य देश)३ क्वचित् द्रव्यों भी हैं जब दोनों परमा भिन्न २ रहे, ४ क्वचित् द्रव्य देशों ( जब वे दो अणु स्कंधको प्राप्त नहीं हुए द्रव्यांतर से संबंध को उपगत
हुए तब ५ द्रव्य और द्रव्य देश हैं (जब उन में से एक मात्र द्रव्यपने रहा और दूसरा द्रव्यांनर की माथ) इसंबंधी हुआ तब द्रव्य और द्रव्य देश कहना ) यों दो प्रदेशी में पांच विकल्प पाते हैं शेष तीन विकल्प ॐका निषेध करना. अहो भगवन् ! पुद्गलास्ति काय के तीन प्रदेश क्या द्रव्य है यावत् आठों प्रश्न कहना?
अहो गौतम ! जब तीनों प्रदेश स्कंध पने परिणमे तव द्रव्य है २ जब त्रिप्रदेशात्मक स्कंधपने परिणमा
- पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र 48
आठवां शतक का दशवा उद्देशा