SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1252
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - १२२१ AN 42 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा काल वण्णपरिणामे जाव सुकिल्ल वण्णपरिणामे ॥ एवं एएणं अभिलावणं गंधपरिणामे दुविहे, रस परिणामे पंचविहे, फासपरिणामे अट्टविहे, संठाण परिणामेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा! पंचविहे तंजहा परिमंडल संठाण परिणामे, जाव आयय संठाण परिणाम॥५१ एगे भंते! पोग्गलात्थकायप्पएसे किं दव्वं, दव्वदेसं, दवाई. दव्वदेसा उदाह दव्वंच दव्वदेसेय उदाह दव्वंच दव्यदेसाय उदाहु दव्वाइंच दव्वदेसेय, उदाहु दव्वाइंच दबदसाय ? गोयमा ! सिय दव्वं सिय दव्वदेसे नो दव्वाइं नो दव्वदेसा नो दव्वंच दबदेसेय नो दव्वंच दबदेसाय नो दबाई च दव्वदेसेय नो दवाई च दव्व देसाय ॥ दो भंते ! पोग्गलात्थकायप्पएसा किं दव्वं परिणाम के कितने भेद कहे हैं ? अहो गौतम ! वर्ण परिणाम के पांच भेद कहे हैं. कृष्ण वर्ण परिणाम यावत् शुक्ल वर्ण परिणाम. ऐसे ही सुरभिगंध व दुरभिगंध ऐसे दो भेद गंध परिणाम के, तिक्तादि पांच भेद रस परिणाम के, लघु आदि आठ भेद स्पर्श परिणाम के, और परिमंडलादि पांच भेद संस्थान णाम के जानना ॥ ५ ॥ अहो भगवन् ! एक पुद्गल प्रदेश को क्या द्रव्य कहना, द्रव्य देश कहना, बहुत द्रव्यों कहना, अथवा बहुत द्रव्य के देशों कहना, अथवा द्रव्य और द्रव्य का देश कहना, एक द्रव्य बहुत द्रव्यों का देशों कहना, बहुत द्रव्य व एक द्रव्य का देश कहना, अथवा बहुत द्रव्य व बहुत द्रव्य के प्रकाशक-रामाहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ wwwimmmmmmmmm
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy