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पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र.28
भावार्थ
मज्झिमियं चरित्ताराहणंपि ॥ जहाण्णयंणं भंते ! नाणाराहणं आराहेत्ता कइहिं भवग्गहणेहिं सिज्झइ जाव अंतंकरेइ ? गोयमा ! अत्थेगइए तच्चेणं भवग्गहणणं सिझइ जाव अंत करेइ, सत्तट्ट भवग्गहणाई पुण नाइक्कमइ ॥ एवं दसणाराहणंपि, एवं चरित्ताराहणंपि ॥ ४ ॥ कइबिहेणं भंते ! पोग्गल परिणामे पण्णत्ते ? गोयमा । पंचविहे पोग्गल परिणामे पण्णत्ते, तंजहा-वण्णपरिणामे, गंधपरिणामे, रसपरिणामे, फासपरिणामे संटाण परिणामे ॥ वण्णपरिणामेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! क अनुसार जानना. परंतु यह आराधना वाला कल्पातीत में ही उत्पन्न होवे. अहो भगवन् ! मध्यमई ज्ञान आराधना वाला कितने भव में सीझे? अहो गौतम ! मध्यम ज्ञान आराधना काठा दूसरे भव में सी यावत् अंत करे परंतु तीसरा भव को अतिक्रमे नहीं. एस ही मध्यम दर्शन आराधना व मध्यम चारित्र आराधना का जानना. अहो भगवन् ! जघन्य ज्ञान आराधना वाला कितने भव में सीझे यावत् सब दुःखों का अंत करे ? अहो गौतम ! कितनेक तीसरे भव में सीझे यावत् अंत करे परंतु सात आठ भव अति-800 क्रो नहीं ऐसे ही दर्शन आराधना व चारित्र आराधना का जानना. ॥ ४ ॥ अहो भगवन् ! कितने प्रकार का पुद्गल परिणाम कहा ? अहो गौतम ! पांच प्रकार का पुदल परिणाम कहा १ वर्ण परिणाम, २ गंध परिणाम, ३ रस परिणाम, ४ स्पर्श परिणाम, ५ संस्थान परिणाम. अहो भगवन् !
24. आठवा शतक का दशवा उद्देशा. 2000