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________________ २१७ भयवती) मृत्र 880 शब्दार्थ ज. जैसे ना. ज्ञान आराधना दं दर्शन आराधना च० चारित्र आराधना ना. ज्ञान आराधना भी भगवन् क० कितने प्रकार की गो० गौतम ति० तीन प्रकार की दं दर्शन आराधनाए ऐसे ही नितीन प्रकार की ए. ऐसेच. चारित्र आराधना ॥ २॥ सरल शब्दार्थ ॥ . दसणाराहणा, चरित्ताराहणा ॥ २ ॥ नाणाराहणाणं 'भंते ! कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता तंजहा उक्कोसिया, .मज्झिमा, जहण्णा ॥ दसणाराहणाणं काल अविनयादि दोप रहित पालना सो मति ज्ञान आराधना २ शंका कांक्षादि दोष रहित सम्यक्त्व Kालना सो दर्शन आराधना और ३ सामायिकादि चारित्र निरतिचार पूर्वक पालना सो चारित्र आरा हा॥२॥ अहो भगवन् ! ज्ञान आराधना के कितने भेद कहे हैं? अहो गौतम ! ज्ञान आराधना के उत्कृष्ट, मध्यम व जघन्य ऐसे तीन भेद. कहे हैं. उन में उत्कृष्ट ज्ञान आराधनावाला अवधि मनःपर्यव .E व केवल ज्ञान वाला होवे अथवा द्वादशांग को जाननेवाला व ज्ञान में सदैव उद्यमी होवे २ मध्यम ज्ञान आराधनावाला एकादश अंग के पाठी, विशेष उद्यमी नहीं वैसे ही विशेष प्रमादी भी नहीं ३ जघन्य ज्ञान आराधनावाला आठ प्रवचन माताके पाठी यह मति श्रुत ज्ञान की शुद्धता युक्त होता है. ऐसे ही दर्शन सम्यक्त्व आसपना के तीन भेद उत्कृष्ट सो क्षायिक प्तम्यक्त्व के धारक, शंकादि किंचिन्मात्र दोष रहित, १२ मध्यम सो क्षयोपशमादि सम्यक्त्व युक्त मध्यस्थ परिणामी, और ३ जघन्य सो देवादि तीनों तत्वों का।। 88.2 आठमा शतक का दशाव दशा-438 ११ पंचमांग विवाह
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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