________________
कम्मरस उदएणं तेया सरीर प्पओग बंधे ॥ ३३ ॥ तेया सरीर प्पओगे बंधेणं भंते! . . किं देस बंधे सव्व बंधे? गोयमा! देसबंधे नो सव्वबंधे॥ तेया सरीर प्पओग बंधेणं भंते ! कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! दुविहे प.तं.अणाइएवा अपजवसिए, अनाइए वा सपजवसिए।॥३४॥तेयासरीर प्पओग बंधंतरणं भंते! कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! अणाईयस्स अपजवसियस्स नत्थि अंतरं, अणाइयस्स सपज्जवासयस्स नत्थि अंतर ॥ ३५॥ एएसिणं भंते ! जीवाणं तेया सरीरस्स देसबंधगाणं, अबंधगाणय कयरे २ हितो जाव विससाहियावा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा तेया सरीरस्स अबंधगा, देसबंधगा
a
4. अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 25
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ
किस कर्म के उदय से होता है ? अहो गौतम ! वीर्य सयोग, सद् द्रव्य, यावत् आयुष्य प्रस्ययिक तेजम शरीर माम कर्म के उदय से तेजस शरीर प्रयोगबंध होता है ॥ ३३ ॥ अहो भगवन् ! क्या वह देशबंध है या सर्वबंध है ? अहो गौतम ! देशबंध है परंतु सर्वबंध नहीं हैं. अहो भगवन् ! तेजस शरीर प्रयोग बंध की कितनी स्थिति कहीं ? अहो गौतम ! उस के दो भेद अनादि अर्यवासित, अनादि सपर्यवसित. ॥ ३४ ॥ अहो भगवन् ! इस का अंतर कितने काल का कहा ? अहो गौतम ! दोनों भेद में से किसी का अंतर नहीं है. ॥ ३५॥ अहो भगवन ! तेजस शरीर देशबंधक व अबंधक में से कौन किस से अल्प