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________________ शब्दाय सूत्र भावार्थ 48 पंचांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र ए० एकेन्द्रिय ओ उदारिक स शरीर प्रयोगबंध मं० भगवन् का० काल से के० कितना हो० होवे गो० गौतम स० सर्व बंध ए० एक समय दे० देशबंध ज० जघन्य ए० एक समय उ० उत्कृष्ट वा० बावीस वर्ष स० सहस्र स समयऊन पु० पृथ्वीकाया ए० एकेन्द्रिय की पु० पृच्छा गो० गौतम स० सर्वबंध ए एक समय दे० देशबंध ज० जघन्य खुः क्षुद्रक भ० भवग्रहण ति तीन समय कम उ० उत्कृष्ट चा० बावीस वर्ष स० सहस्र स० समय ऊन ए० ऐसे स० सर्व बंध. ए० एक समग्र दे० देशबंध जे० जिस में न० नहीं सरीरप्पओगबंधेणं भंते ! कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहण्णेणं एक्वं समयं उक्कोसेणं बाबीसं वाससहस्साई समयऊणाई, पुढवी काइएदियपुच्छा ? गोयमा ! सव्वबंधे एक्कंसमयं, देसबंधे जहणणेणं खुड्डाग भग्गणं तिसमयऊणं उक्कोसेणं बाबीसं वाससहस्साइं समय ऊणाई, एवं सव्वेसिं अहो गौतम ! सर्व बंध की एक समय की. देश बंध की जघन्य एक समय उत्कृष्ट एक समय कप बावीस हजार वर्ष पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय की स्थिति सर्व बंध आश्री एक समय, देश बंध आश्री जघन्य तीन समय कम क्षुल्लकमंत्र उत्कृष्ट एक समय कम बावीस हजार वर्ष. इसी प्रकार सब का सर्व बंध एक १ क्षुल्लक भत्र सब से अल्प काल का २५६ आवलिका का निगोद का होता है. बीच में उस भव करके फीर तीन यसम में विग्रह गति करके तीसरे समय में सर्व बंध रहे. शेप में देश बंध रहे. आठवा शतक का नवा उद्देशा १.१७३
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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