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शब्दा
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१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मनि श्री अमोलक ऋषिजी *
किं. क्या दे देश से बंध स० सर्व से बंध गो० गौतम दे० देश से बंध स० सर्व मे बंध ॥ १३ ॥ ओ०। उदारिक शरीर प्रयोग बंध भं० भगवन् का० काल से के० कितना हो० होवे गो० गौतम स० सर्व बंध ए० एक समय दे० देश बंध ज. जघन्य ए० एक समय उ० उत्कृष्ट ति० तीन पल्योपम स० समय ऊन बंधेणं भंते ! किं देसबंधे सव्वबंधे ? गोयमा ! देसबंधेवि, सव्वबंधेवि॥ एगिदिय
ओरालिय सरीरप्पओग बंधेणं भंते ! किं देसबंधे सव्वबंधे एवं चेव एवं पुढवि काइया, एवं जाव मणुस्सपंचिंदियओरालिय सरीरप्पओग बंधेणं भंते ! किं देसबंधे र सव्वबंधे ? गोयमा ! देसबंधेवि सव्वबंधेवि ॥ १३ ॥ ओरालिय सरीरप्पओग बंधेणं भंते ! कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सव्वबंधेवि एवं समयं देसबंधेवि जहण्णणं
एकंसमयं उक्कोसेणं तिण्णि पलिओनमाइं समय ऊणाई ॥ एगिदिय ओरालिय शरीर प्रयोग क्या देश बंध है या सर्व बंध है ? अहो गौतम ! उदारिक शरीर प्रयोग देश बंध भी है.
और सर्व बंध भी है. ऐसे ही एकेन्द्रिय का पृथ्वींकाया का यावत् मनुष्यपंचेन्द्रिय उदा प्रयोग बंध का जानना ॥ १३॥ अहो भगवन् ! उदारिक शरीर प्रयोग बंध की स्थिति कितनी कही ? अहो गौतम ! सर्व बंध की एक समय की और देश बंध की जघन्य एक समय उत्कृष्ट एक समय कम तीन पल्योपम की. अहो भगवन् ! एकेन्द्रिय उदारिक शरीर प्रयोग बंध की कितनी स्थिति कही ?
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालामसादजी *
भावार्थ