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शब्दार्थ
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48-49 पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र
स. शरीर प्रयोग बंध पं० पांच प्रकार का तं० वह ज० जैसे ओ• उदारिक शरीर प्रयोगवंध वे० वैकेयी शरीर प्रयोग बंध आ० आहारक शरीर प्रयोग बंध ते. तेजस शरीरं प्रयोगबंध क. कार्माग शरीर प्रयोग बंध ओ० उदारिक स. शरीर प्रयोगबंध क० कितने प्रकार का ए० एकेन्द्रिय ओ० उदारिक स० शरीर प० तंजहा ओरलियसरीरप्पयोगबंधे, वेउव्वियसरीरप्पओगबंधे, आहारग सरीरप्प
ओगबंधे तेयासरीरप्पओगबंधे, कम्मासरीरप्पओग बंधे. ॥ ओरालियसरीरप्पओगबंधेणं भंते! कइविहे प० ? गोयमा ! पंचविहे प० तं० एगिंदियओरालियसरीरप्प. ओगबंधे जाव पंचिंदिय ओरालिय सरीरप्पओग बंधे ।। एगिंदिय ओरलिय सरीरप्प आग बंधेणं भंते ! कइविहे ५० ? गोयमा ! पंचविहे प० तं. पुढविकाइय एगिदिय ओरालिय सरीर प्पओगबंधे, एवं एएणं अभिलावेणं भेदो जहां ओगाहण शरीर प्रयोग बंध किसे कहते हैं? अहो गौतम ! वीर्यातराय क्षयोपशमादि जनित व्यापार से उदारिकादिक प्रयोग का वंध अथवा पुद्गलापादान शरीर रूप प्रयोग का जो बंध उसे शरीर प्रयोग बंध कहते हैं. इस के पांच भेद कहे हैं-उदारिक शरीर प्रयोग बंध, वैक्रेय शरीर प्रयोग बंध, आहारक शरीर प्रयोग बंध, तेजस शरीर प्रयोग बंध और कार्माण शरीर प्रयोग बंध. उदारिक शरीर प्रयोग बंध के कितने भेद ? अहो गौतम ! उदारिक शरीर प्रयोग बंध के पांच भेद. एकेन्द्रिय उदारिक शरीर प्र
4.3 आठवा शतक का नववा उद्देशा 888
भावार्थ