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श्री अमोलक ऋषिजी
शब्दार्थ प०पत्रराशि तु तुषराशि भुभश्मराशि गो गोवरकी राशि अ कचरेकी राशि उ० उच्चय बं०बंध स उत्पन्न
होवे जघन्य अं अंत मुहूर्त उ उत्कृष्ट सं० संख्यात काल॥णा से वहकि कौनसा स०समुच्चय बं०बंध ज०जैसे अ० कुवा त. तडाग न नदी द० द्रह वा० वापी पु० . पुष्करणी दी • दीर्घिका गुं• गुंजाली स० से सरोवर स० सरोवर पंक्ति बि: विलपंक्ति दे० देवकुल शभा ५० पर्वत थू० स्तूप खा० खाई ५० परिका
उच्चयबंधे जण्णं तणरासीणवा, कट्टरासीणवा,पत्तरासीणवा, तुसरासीणवा, भुसरासीणवा, गोमयरासीणवा,अवगररासीणवा, उच्चएणं बंधे समुप्पज्जइ,जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखजं कालं सेत्तं उच्चयबंधे ॥७॥से किं तं समुच्चय बंधे?समुच्चयबंधे जण्णं अगड, तडाग,
नदी, दह, वावी, पुक्खरिणी, दीहियाणं, गुंजालियाणं सराणं,सरपंतियाणं,बिलपंतियाणं, भावार्थ है उसे श्लेषणा बध कहते हैं. इस की स्थिति जघन्य अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट संख्यात काल की हैं. ॥६॥
अब उच्चय बंध किसे कहते हैं ? अहो गौतम ! तृणका राशि, काष्ट का राशि, पत्र का सारी, तुष. (फोतरे ) का राशि, भूसे का राशि, कचवर का राशि कर रखाहो उस का जो संबंध रहे सो उच्चय
बंध. यह जघन्य अंत मुहूर्त उत्कृष्ट संख्यात काल तक रहता है. ॥ ७ ॥ अब समुच्चय बंध किसे कहते Joye हैं ? अहो गौतम ! कूप, ताला व नदी, द्रह, वावडी, पुष्करणी दीर्घिका, गुंजाली पाल बंध तलाव, तलाव
की पंक्तियों, बिलों की पंक्तियों, देवालय, राजादिक की सभा स्तूप, खाइ, प्राकार, कोट, अटाली,
लब्रह्मचरािमुनि
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहाय जी ज्वालापसादनी *
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