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शब्दार्थ सख्यात काल ॥५॥ से वह किं कौनसा अ० अल्लिकापन बंध च० चार प्रकार का ले० श्लेषणाबंध
उ० उच्चयबंध स० समुच्चयबंध सा संहननबंध से वह किं. कौनसा ले० श्लेषणाबंध ज. जैसे कु भित्ति V}कु० भूमिका खं० स्थंभ पा. प्रासाद क० काष्ट च० चर्म घ० घट प० पट क० कट छु० चना चि० कर्दम 380
१७६३ सि० श्लेष ल० लाख म०मधु आ०आदि ले० श्लेषणा बं बंध स० उत्पन्न होने जजघन्य अं० अंत मुहूर्त है। १० उत्कृष्ट स० संख्यात काल ॥६॥से०वह किं०कौनसा उ• उच्चयबंध न जैसे त० तृणराशी क० काष्टराशी
से किं तं अल्लियावण बंधे ! आल्लियावण बंधे चउविहे पण्णत्ते तंजहा लेसणाबंधे उच्चय बंधे, समुच्चय बंधे, साहणणा बंधे ॥ से किं तं लेसणा बंधे ? जणं कुड्डाणं, कुटिमाणं, खंभाणं, पासायाणं, कट्ठाणं, चम्माणं, घडाणं, पडाणं, कडाणं, छुहाचिक्खिल्ल सिलेस लक्खमहु सित्थमाइएहिं, लेसणएहिं बंधे समुप्पजइ, जहणणं
अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेजं कालं सेत्तं लेसणाबंधे ॥ ६ ॥ से किं तं उच्चय बंधे ? वह जघन्य अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट संख्यात काल तक रहे. अहो गौतम ! इसे आलापन बंध कहते हैं ॥ ५ ॥og
अहो गौतम ! अल्लिकापन बंध किसे कहते हैं ? आल्लकापन बंध के चार भेद कहे हैं. ? १ श्लेष ११२ उच्चय बंध ३ समुच्चय बंध और ४ संहनन बंध उस में श्लेषणा बंध का क्या अर्थ है ? चूना, कर्दम, सरेस 1 लाख, मोम. राल व गुडादि से भित्ति, चबुतरा, प्रासाद, काष्ट, चर्म, घट, व कट का जो बंधन होता
पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 4248 पंचमांग विवाह
आठवा शतकका नववा उद्देशा 89480