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________________ - शब्दार्थ र सूर्य के० कितना खे०क्षेत्र उ० ऊर्थ ३० तपे के कितना अ० अधो त तपे के कितना खे०क्षेत्र ति तिच्छी of त० तपे गो० गौतम ए० एक जो० योजन स० शत उ० ऊर्ध्व त० तपे अ० अठारह जो० योजन स. | शत अ० अधो त० तपे से० सेतालीस जो० योजन स० सहस्र दो० दो ते० तेसठ जो० योजन स० | शंत ए० इक्कीस स० माठभाग जो० योजन के ति तिछी त० तपे ॥ २० ॥ अं० अंदर भं० भगवन् 14 से भंते ! किं पुट्ठा कज्जइ अपुट्टा कज्जइ ? गोयमा ! पुट्ठा कज्जइ नो अपुट्ठा कज्जइ, जाव नियमा छदिसिं ॥१९॥ जंबूद्दीवेणं भंते ! सरिवा केवइयं खेत्तं उड्डे तवेत, केवइयं अहे तवेति, केवइवं खेत्तं तिरियं तāति ? गोयमा ! एगं जोयण सयं उठें तति, अट्ठारस जोयण सयाइं अहे तवेंति, सीयालीसं जोयण सहस्साई दोणियतेक्तु । जोयणसए एकवीसंच सद्विभाए जोयणस्स तिरियं तवेति ॥ २० ॥ अंतोणं भंते ! भावार्थ : अहो गोतम ! अतीत क्षेत्रमें अबभासनादि क्रिया नहीं करते हैं वर्तमान में करते हैं, और अनागत में नहीं करते हैं अहो भगवन् ! क्या वह स्पर्शी हुइ करते हैं या विना स्पर्शी हुइ करते हैं ? अहो गोतम ! स्पर्शी हुइog क्रिया करे परंतु विना स्पर्शी हुइ क्रिया करे नहीं यावत् छदिशी में क्रिया करे ॥ १९ ॥ अहो भगवन् : जम्बूद्वीप में ऊंचे कितना क्षेत्र तपे, नीचे कितना क्षेत्र तपे व ति कितना क्षेत्र तपे ? अहो गौतमः, ऊंचे 18 ११०० योजन तपे, नीचे १८०० योजन तक तपे, और तीर्छा ४७२६३योजन और एक योजन का ६०१ । 48 पंचांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र 4 आठवा शतकका आठवा उद्देशा8024 . ...
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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