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सूत्र
शब्दार्थ ज. जंबूद्वीप में सू० सूर्य उ० उदय होने के मु० मुहूर्त में म० मध्यान्ह मु० मुहूर्त में अ० अस्त होने के
मु० मुहूर्त में सः सर्वत्र स० सरिखा उ० ऊंचे से हैं. हां गो. गौतम जं. जंबूद्वीप में सू. सूर्य उ०उदय है जंबूद्दीवेणं दीवे सूरिया उग्गमण मुहुत्तंसिय मज्झतिय मुहुत्तंसिय अत्थमणमुहुत्तंसियं
सम्वत्थसमा उच्चत्तणं ? हंता गोयमा ! जंबूद्दीवेणं दीवे सूरिया उग्गमण जाव उच्चत्तेणं॥ १६ ॥ जइणं भंते ! जंबूद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमण मुहुत्तंसिय मज्झंतिय मुहत्तंसि अत्थमण मुहुत्तंसिय, मूले जाव उच्चत्तेणं सेकेणं खाइणं
अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ, जंबूद्दीवेणं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि दूरेय भावार्थ
काल में व अस्त काल में सूर्य सरिखी ऊंचाइ से हैं ? हां गौतम ! जम्बूद्वीप में उद्गमन काल में, मध्यान्ह काल में व अस्त काल में सूर्य सरिखी ऊंचाइ से हैं. ॥ १६ ॥ अहो भगवन् ! उदय काल मध्यान्ह काल व अस्त काल में जब सूर्य सरिखे यावत् उचाइ में हैं तो किस कारन से ऐसा कहा गया है कि उदय होते दर होने पर नजदीक दीखता है, मध्यान्द में नजदीक होने पर दूर दीखता है व अस्त होते दूर होने पर नजदिक दीखता है ? अहो गौतम ! तेज के प्रतिघात से दूर होते हुवे पास
दीखता है अर्थात् उदय काल में सूर्य सरलता पूर्वक देख सकते हैं इसलिये दूर होते हुवे नजदीक दीखने , 12 में आता है, और तेज के प्रबलपना से पास होते हुवे दूर दीखने में आता है क्यों की मध्यान्ह में सूर्य है।
१.१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी .
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी*