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________________ शब्दार्थ में ए. एक अ. अलाभ परिषद स० समवर्तता है ॥ १३ ॥ सस्ल शब्दार्थ ॥ १४ ॥ जं. जंबूद्वीप में भं० भगवन् दी. द्वीप में मू० सूर्य उ० उदय होने का मू. मुहूर्त में दृ० दर से मू० नजदीक दी. दीखे, म. मध्यान्ह मु. मुहूर्त में मू० नजदीक दू० दूर से दी दीखे अ० अस्त होने का मु० मुहूर्त में दू० ११४९ मू• मूल से दी. दीखे हैं. हां गो गौतम जं. जंबूद्वीप में मू० मूर्य उ० उदय होने का मु. मुहूर्त में दू० दूर से जा० यावत् अ० अस्त होने का मु• मुहूर्त में दू० दूर से मू• नजदीक से दी दीखे ॥१५॥ __ तं समयं चरिया परीसहं येएइ ॥ १४ ॥ जंबूद्दीवणं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमण मुहत्तंसि दूरेय मूलेय दीसंति, मझंतिय मुहुत्तंसि मूलेय दृरेय दीसंति अत्थमण मुहुत्तंसि दूरेय मूलेय दीसंति ? हंता गोयमा ! जंबूद्दीवेणं दीवे सूरिया उग्गमण मुहुत्तंसि दूरेय तंत्र जाव अत्थमण मुहुत्तंसि दूरेय मूलेय दीसंति ॥ १५ ॥ नहीं वेदते हैं चर्या के समय शैय्या नहीं वेदते हैं और शैय्या के समय चर्या नहीं वेदते हैं. ॥ १४ ॥ है अहा भगवन् ! इस जम्बूद्वीप में जा सूर्योदय होता है तब दूर होता हुआ भी नजदीक दीखता है, मध्यान्ह में नजदीक होता दूर दीखता है. व संध्या को दूर होता नजदीक दीखता है ? हां गौतम ! | जम्बूद्वीप में उदय काल में सूर्य दूर होते नजदीक दीखता है, मध्यान्ह में नजदीक होते दूर दीखता है. और अस्त काल में दूर होते नजदीक दीखता है. ॥ १५ ॥ अहो भगवन् ! क्या उदय काल में, मध्यान - पंचभाग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 428 4948 आठवां शतकका आठवा उद्देशा360
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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