________________
सूत्र
wwwwwwwwwww
१३७
भावार्थ
380 पंचमाङ्ग विवाह पण्णात (भगवती) सत्र
* बंधी बंधइ बंधिस्सइ, बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, बंधी न है बंधइ न बंधिस्सइ, न बंधी बंधइ बंधिस्सइ, न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, न बंधी
नबंधइ बंधिस्सइं, नबंधी नबंधइ नबंधिस्सइ ? गोयमा ! भवागरिसं फ्डुच्च अत्थ
गइए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अस्थेगइए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ एवं तंचेर सव्वं वर्तमान में नहीं बंधता है व अनागत नहीं बंधेगा ५ गतकाल में नहीं बंधा, वर्तमान में बंधता है अनागत में वंधेगा६ गतकाल में नहीं बंधा वर्तमानमें बंधता है व अनागत में नहीं बंधेगा७ गतकाल मे नहीं बंधा वर्तमान में नहीं बंधता हैं व अनागत में बंधेगा और क्या ८ गत काल में नहीं बंधा, वर्तमान में नहीं बंधता है व अनागत में नहीं बंधेमा ? अहो गौतम ! भवाकर्ष आश्री कितनेकने प भव में उपशान्त मोहपना से
र्यापथिक क्रिया का बंधकिया, वर्तमान में बंध करते हैं और अनागत में बंध करेंगे २ किननेकने गत काल में उपशान्त मोहकी अवस्था में ईर्यापथिक क्रियाका बंधकिया, वर्तमान में क्षीणमोही होने से बंध करसे हैं और अनागत में शैलेशापना प्राप्त होने से अबंध होगा ३ कोई प्रथम उपशांत मोही होने से ईर्यापथिक का बंध करता है, परंतु पीछा गिरने से बंध नहीं करता है और पुनः जब उपशान्त मोह होगा करेगा ४ किसीने क्षपक श्रेणिपर चडकर बंध किया वर्तमान में शैलेशीपना को प्राप्त होने से बंध करता है और अनागत में बंध नहीं करेगा ५ उपशान्त मोह नहीं होने से किसी जीव ने आगे
88880% आठवा शतकका आठवा उद्दशा g
romrnmmmmmmmmm
ig