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भावार्थ
4 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
इत्थीपच्छाकडाय, पुरिसपच्छाकडाय, णपुंसगपच्छाकडाय बंधति ? गोयमा ! इत्थीपच्छाकडोवि बंधइ, पुरिसपच्छाकडोवि बंधइ, णपुंसगपच्छाकडोवि बंधइ, इत्थीपच्छाकडा वि बंधति, पुरिसपच्छाकडावि बंधति, णपुंसगपच्छाकडावि बंधति, अहवा इत्थीपच्छाकडोय पुरिसपच्छाकडोयबंधइ, १२ एवं एए छब्बीसं भंगा भाणियव्वा जाव
अहवा इत्थीपच्छाकडाय पुरिसपच्छाकडाय णपुंसगपच्छाकडाय बंधति ॥ तं भंते ! किं एक नपुंसक पश्चात् कृत और '४ बहुत पुरुष पश्चात् कृत बहुत नपुंसक पश्चात् कृत. अब तीन संयोगी १८ भांगे होते हैं सो कहते हैं ? एक स्त्री एक पुरुष एक नपुंसक २ एक स्त्री एक पुरुष बहुत नपुं
३ एक स्त्री बहुत पुरुष एक नपुंसक ४ बहुत स्त्री एक पुरुष एक नपुंसक ५ बहुत स्त्री बहुत पुरुष एक नपुंसक १६ बहुत स्त्री एक पुरुष बहुत नपुंसक ७ एक स्त्री बहुत पुरुष बहुत नपुंसक और बहुत स्त्री,बहुत पुरुष व बहुत नपुंसक ऐसे २६ भांगे से क्या बांधे ? अहो गौतम ! एक स्त्री पश्चात् कृत, एक पुरुष पश्चात् कृत व एक नपुंसक पश्चात् कृत बांधता है ऐसे ही २६ भांगे से जानना यावत् बहुत स्त्री, बहुत पुरुष बहुत नपुंसक पश्चात् कृत बांधते हैं. इर्यापथिक क्रिया का तीन काल आश्री आठ विकल्प का प्रश्न करते हैं ? गत काल में बंधा वर्तमान में बंधता है और अनागत में बंधेगा २ गत काल में बंधा, वर्तमान में बंधता है व अनागत में नहीं बंधेगा ३ गत काल में बंधा वर्तमान में नहीं बंधता हैं, व अनामत में बंधेमा ४ गतकाल में बंधा
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी*