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भावार्थ
- पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
कडा बंधंति ॥ उदांहु इत्थिपच्छा कडोय पुरिसपच्छाकडोय बंधइ, उदाहु इत्थिपच्छाकडोय पुरिसपच्छाकडाय बंधति, उदाहु इत्थिपच्छाकडाय पुरिसपच्छाकडोय बंधइ, उदाहु इत्थिपच्छाकडा, पुरिसपच्छाकडाय बंधंति, उदाहु इत्थिपच्छाकडोय णपुंसगपच्छाकडे य बंधइ, उदाहु पुरिसपच्छाकडोय णपुंसगपच्छाकडोयबंधइ, उदाहु इत्थिपच्छाकडोय पुरिसपच्छाकडोय पुंसगदच्छाकडोय बंधइ ॥ एवं एए छब्बीसं भंगा जाब उदाहु {हैं. अहो भगवन् ! जब विगतवेद वाला बांधता है अथवा विगतवेदवाले बांधते हैं तब क्या स्त्रीपना पुरुषपना पश्चात्कृत बांधता है, नपुंसकपना पश्चात्कृत बांधता है, पश्चात्कृत बाधता
अथवा
बहुत स्त्रीपना पश्चात्कृत, बहुत पुरुषपना पश्चात्कृत बांधता है यह एक संयोगी छ भांगे हुवे. द्विसंयोगी वारह भांगे होते हैं १ एक स्त्री पश्चात् कृत एक पुरुष पश्चात् कृत २ एक स्त्री पश्चात् कृत बहुत पुरुष पश्चात् (कृत ३ बहुत स्त्री पश्चात् कृत एक पुरुष पश्चात् कृन ४ बहुत स्त्री पश्चात् कृत बहुत पुरुष पश्चात् कृत यह चार भांगे स्त्री पुरुष के कहे ५ एक स्त्री पश्चात्कृत एक नपुंसक पश्चात् कृत ६ एक स्त्री पश्चात् कृत बहुत नपुंसक पश्चात् कृत ७ बहुत स्त्री पश्चात् कृत व एक नपुंसक पश्चात् कृत ८ बहुत स्त्री पश्चात् कृत बहुत नपुंसक पश्चात् कृत ( यह चार भांगे स्त्री व नपुंसक के ) ९ एक पुरुष पश्चात् कृत एक नपुंसक पश्चात् कृत १० एक पुरुष पश्चात् कृत बहुत नपुंसक पश्चात् कृत ३ बहुत पुरुष पश्चात् कृत
२०३२ आठवा शतकका आठवा उद्देशा 080
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