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________________ शब्दार्थ | भावार्थ es प्रत्यनीक से शिष्य प्रत्यनीक ॥ ४ ॥ सु० सूत्र मं भगवन् पं० प्रत्यय पुः पुच्छा गो० गौतम त० तीन (प्रत्यनीक सु० सूत्र प्रत्यनीक अ० अर्थ प्रत्यनीक उ० उभय प्रत्यनीक ॥ ५ ॥ भा० भाव भ० भगवन् प० प्रत्यय पु० पुच्छा गो० गौतम त० तीन प्रत्यनीक णा० ज्ञान प्रत्यनीक दं० दर्शन प्रत्यनीक च० चारित्र प्रत्यनीक || ६ || क० कितने प्रकार का भं० भगवन् व० व्यवहार प० प्ररूपा गो० गौतम पं० पांच प० तं० तबस्सि पडिणीए, गिलाण पडिणीए, सेह पडिणीए ॥ ४ ॥ सुअण्णं भंते ! पडुच्च पुच्छा ? गोयभा ! तओ पडिणीए प० तं सुत्तपाडणीए, अत्थपडिणी, तदुभय पडणी ॥ ५ ॥ भावण्णं भंते ! पडुच्च पुच्छा ? गोयमा ! तओ पडिणीया पतं०- णाणपडिणीए, दंसण पडिणीए चरित पडिणी ॥ ६ ॥ कइविणं भंते! ववहारे पण्णत्ते प्रत्यनीक कहे हैं ? तपस्वी आदि की वैयावृत्य करे नहीं सो तपस्वी प्रत्यनीक २ ग्लान आदि को औषधादि देवे नहीं सो ग्लान प्रत्यनीक और ३ नविन दीक्षित की वैयावृत्य करे नहीं सो शिष्य प्रत्यनीक ॥ ४ ॥ अहो भगवन् ! सूत्र आश्री कितने प्रत्यनीक कहे हैं ? अहो गौतम ! सूत्र आश्री तीन प्रत्यनीक कहे हैं ? सूत्र प्रत्यनीक २ अर्थ प्रत्यनीकं व ३ सूत्र अर्थ दोनों प्रत्यनीक ||५|| अहो भगवन् भाव आश्री कितने प्रत्यनीक ? अहो गौतम ! भाव आश्री तीन प्रत्यनीक १ ज्ञान के अवर्णवाद बोले सो ज्ञान प्रत्यनीक २ दर्शन के अवर्णवाद बोले सो दर्शन प्रत्यनीक और ३ चारित्र के अवर्णवाद बोले सो चारित्र 4 पंचमांग विवाह पण्णसि ( भगवती ) मूत्र * ११२७ आठवा शतक का आठवा उद्देशा 8-495
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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